जिसका मुकुट हिमालय ,
पैरो को धोता सागर ।
विश्व-गुरु जो मार्ग दिखाए ,
खतरे में है उसका आँचल ।।
हत्यारा गजनी ने लुटा ,
भारत माँ के गहनों को ।
देश में बैठे जयचंदो ने ,
बेच दिया अस्मत मुगलो को ।।
व्यापारी बन आये इंग्लिश ,
पुर्त और फ्रांसीसी आये ।
पीठ में छुरा घोप हमारे,
कर दिया देश परतंत्र ।।
वीर शहीद जवानों ने,
आजादी के मतवालो ने ।
खून से सींचा आँचल माँ के ,
कर दिया देश स्वतंत्र ।।
द्वारा- अनुराग मिश्र
यह स्वरचित रचना 15 अगस्त 2015 को लिखा था । भारत के इतिहास को कुछ चंद पंक्तियों में लिखने का एक छोटा प्रयास है। अगर समझ आ जाये तो शहीदों के नाम एक जय हिंद अवश्य लिखे।
जय हिंद ।।
पैरो को धोता सागर ।
विश्व-गुरु जो मार्ग दिखाए ,
खतरे में है उसका आँचल ।।
हत्यारा गजनी ने लुटा ,
भारत माँ के गहनों को ।
देश में बैठे जयचंदो ने ,
बेच दिया अस्मत मुगलो को ।।
व्यापारी बन आये इंग्लिश ,
पुर्त और फ्रांसीसी आये ।
पीठ में छुरा घोप हमारे,
कर दिया देश परतंत्र ।।
वीर शहीद जवानों ने,
आजादी के मतवालो ने ।
खून से सींचा आँचल माँ के ,
कर दिया देश स्वतंत्र ।।
द्वारा- अनुराग मिश्र
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वीर शहीदों को नमन - जय हिंद |
यह स्वरचित रचना 15 अगस्त 2015 को लिखा था । भारत के इतिहास को कुछ चंद पंक्तियों में लिखने का एक छोटा प्रयास है। अगर समझ आ जाये तो शहीदों के नाम एक जय हिंद अवश्य लिखे।
जय हिंद ।।