बुधवार, 25 मार्च 2020

माँ अलोपी देवी @ माँ अलोपशंकरी प्रयागराज

माँ अलोपी देवी (अलोपशंकरी)

माँ अलोपी देवी (picture taken by google)
इतिहास :- 

पौराणिक कथा के अनुसार राजा दक्ष यज्ञ  में भगवान शिव की निंदा सुनकर माता सती ने प्राण त्याग दिए , तब उनके मृत शरीर को लेकर देवाधिदेव क्रुद्ध होकर तांडव नृत्य करने लगे । शिव को शांत करने के लिए श्रीनारायण ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भाग में काट दिया । सती का अंग जहां - जहां गिरा वह शक्तिपीठ के रूप में आज भी पूजे जाते हैं ।

स्थान :- 

संगम से कुछ दूरी पर विशेषता  स्थित अलोपीबाग मुहल्ले  में मां अलोपशंकरी का प्राचीन महाशक्ति  पीठ मंदिर है । यह एक ऐसा खास मंदिर है, जहां कोई मूर्ति नहीं रखी गई है। पुराणों के अनुसार, यहां मां सती के दाहिने हाथ का पंजा एक कुंड में गिरकर लुप्त हो गया था। अतः यह मंदिर मां शक्ति के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। यहां मां भगवती के पालने की  पूजा अलोपशकरी के रूप में होती है ।   वर्तमान समय में मंदिर प्रबंधन की जिम्मेदारी महानिर्वाणी अखाड़ा के पास है ।

विशेषता:-  

अलोपशकरी मंदिर में भक्त मंदिर में स्थित पालने पर मत्था टेककर पूजा करते हैं ।यह प्रसिद्ध शक्ति पीठ है और इस कुंड के जल को चमत्कारिक शक्तियों वाला माना जाता है। अलोपी देवी के मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए आते हैं। मान्यता है कि यहाँ कलाई पर रक्षा सूत्र बाँधकर मन्नत माँगने वाले भक्तों की हर कामना पूरी होती है और हाथ में धागा बंधे रहने तक देवी उनकी रक्षा करती हैं।  नवरात्र में यहां मां का श्रृंगार तो नहीं होता उनके स्वरूपों के अनुसार पाठ किया जाता है । हर सोमवार व शुक्रवार को विशाल मेला लगता है । यहां दूर - दूर से आकर भक्त मुंडन व नक , कर्ण छेदन कराते है ।

वास्तुकला :-

माँ  का मंदिर श्रीयंत्र पर आधारित है । मंदिर का विशाल गुंबद हर किसी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है । मन की  मुराद पूरी करने के लिए भक्त नवरात्र के दौरान व्रत , पूजन से  शक्ति स्वरूपा मां भगवती की आराधना करेंगे ।

कैसे पहुँचे :-

यदि आप प्रयागराज जंक्शन पर है तो शहर के तरफ से JUNNRM या टैक्सी से अलोपशंकरी तक पहुच सकते है इसके अतिरिक्त यदि प्रयाग  या प्रयागराज रामबाग  स्टेशन पर है तो टेम्पो से सीधे पहच सकते है । यह संगम मार्ग पर स्थित है यदि संगम स्नान के उपरांत पहुचना चाहते है तो भी आसानी से पैदल या टैक्सी की सहायता से पहुच सकते है ।

इसी के साथ मै सभी सुधी पाठकजनों को नवरात्री के पवन पर्व की बधाई देता हूँ और माँ भगवती सभी का कल्याण करे कि ढेर साडी शुभकामनाये 

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