अनुपम (काल्पनिक) बहुत ही सरल, शांत एवम् सौम्य स्वभाव का एक नौजवान था। जीवन बहुत अच्छी तरह चल रही थी। घर में सभी लोग थे जैसे मा, पिता जी,भाई,चाचा ,दादी ,दादी और पिता की मां (माई) ।
अनुपम ग्रामीण क्षेत्र से स्नातक के बाद अन्य स्नातक के लिए अपने शहर में चला गया । वहां भी उसने अन्य स्नातक और परास्नातक की पढ़ाई अन्य विधाओं में किया । एक मध्यम एवं संभ्रांत परिवार में पला-बढ़ा जिसको बाल्यावस्था में कभी किसी ने पैसे कमाने या छल-प्रपंच की शिक्षा नहीं मिली थी। जीवन के साथ उम्र बढ़ता गया और इसी बीच दादा (बड़े पिता जी) की मृत्यु से वह बहुत आहत हुआ। अनुपम जिज्ञासु एवम् साधक प्रवृत्ति होने के कारण आज भी शिक्षा के मोहमाया से बाहर नहीं निकल पा रहा था कि घर वालों ने शादी जैसे अटूट बंधन में बंध दिया । बिना पैसे के जिम्मेदारी या जिम्मेदार होना दोनों असंभव है और लाख अनुपम के माना करने पर भी घरवालों ने शादी के बंधन में बांध दिया । अनुपम शादी ना कर सम्पूर्ण जीवन शिक्षा एवम् समाज कार्य में सौंपना चाहता था परन्तु घर वालों के प्रपंच से वह बच ना सका । अनुपम को समाज और शिक्षा से महत्वपूर्ण नौकरी का अहसास हुआ लेकिन भ्रष्टाचार और शारीरिक अक्षमता के कारण कोई सफलता ना मिली और इसी बीच वह एक संतान का पिता भी बन गया। अब जिम्मेदारियां बढ़ गयी लेकिन वह कुछ करने में असमर्थ था । शारीरिक अक्षमता के कारण वह किसी कंपनी या शारीरिक श्रम का कार्य करने में असमर्थ समझने के कारण कुछ व्यवसाय के लिए सोचने लगा लेकिन वह यह बात अपने पिता से नहीं कह सकता था क्योंकि उसके पिता पूर्वाग्रही थे जिन्हें हर एक कार्य में वही दिखता था कोई भी व्यक्ति कुछ करने के पहले नहीं सोचता यथा - बाहर ना निकलो अन्यथा दुर्घटना हो जाएगी , व्यवसाय नहीं करो नही खेत बेच दोगे ।।
अनुपम के पिता में बहुत गुण जैसे सामाजिकता, परिवारवाद ,बहन, भाई और माता -पिता सबके भले की बात लेकिन वह कभी अपने बच्चों को समझ नहीं पाए । अनुपम भी अपने मां को कभी इतना बड़ा दुख नहीं देना चाहता था लेकिन शायद जीवन से हार मान चुका था और एक दिन वह पत्नी और अपनी छोटी बच्ची के साथ अप्राकृतिक रूप यानी आत्महत्या कर लिया । वह अपनी पत्नी बच्चो को इस क्रूर दुनिया में कष्ट के जीवन न मिले इसलिए पहले मासूम को जहर पिलाया और फिर पत्नी को और पत्नी - बच्ची को पूर्ण मृत्यु देने के पश्चात खुद भी कल के गाल में समा गया ।
अनुपम ग्रामीण क्षेत्र से स्नातक के बाद अन्य स्नातक के लिए अपने शहर में चला गया । वहां भी उसने अन्य स्नातक और परास्नातक की पढ़ाई अन्य विधाओं में किया । एक मध्यम एवं संभ्रांत परिवार में पला-बढ़ा जिसको बाल्यावस्था में कभी किसी ने पैसे कमाने या छल-प्रपंच की शिक्षा नहीं मिली थी। जीवन के साथ उम्र बढ़ता गया और इसी बीच दादा (बड़े पिता जी) की मृत्यु से वह बहुत आहत हुआ। अनुपम जिज्ञासु एवम् साधक प्रवृत्ति होने के कारण आज भी शिक्षा के मोहमाया से बाहर नहीं निकल पा रहा था कि घर वालों ने शादी जैसे अटूट बंधन में बंध दिया । बिना पैसे के जिम्मेदारी या जिम्मेदार होना दोनों असंभव है और लाख अनुपम के माना करने पर भी घरवालों ने शादी के बंधन में बांध दिया । अनुपम शादी ना कर सम्पूर्ण जीवन शिक्षा एवम् समाज कार्य में सौंपना चाहता था परन्तु घर वालों के प्रपंच से वह बच ना सका । अनुपम को समाज और शिक्षा से महत्वपूर्ण नौकरी का अहसास हुआ लेकिन भ्रष्टाचार और शारीरिक अक्षमता के कारण कोई सफलता ना मिली और इसी बीच वह एक संतान का पिता भी बन गया। अब जिम्मेदारियां बढ़ गयी लेकिन वह कुछ करने में असमर्थ था । शारीरिक अक्षमता के कारण वह किसी कंपनी या शारीरिक श्रम का कार्य करने में असमर्थ समझने के कारण कुछ व्यवसाय के लिए सोचने लगा लेकिन वह यह बात अपने पिता से नहीं कह सकता था क्योंकि उसके पिता पूर्वाग्रही थे जिन्हें हर एक कार्य में वही दिखता था कोई भी व्यक्ति कुछ करने के पहले नहीं सोचता यथा - बाहर ना निकलो अन्यथा दुर्घटना हो जाएगी , व्यवसाय नहीं करो नही खेत बेच दोगे ।।
अनुपम के पिता में बहुत गुण जैसे सामाजिकता, परिवारवाद ,बहन, भाई और माता -पिता सबके भले की बात लेकिन वह कभी अपने बच्चों को समझ नहीं पाए । अनुपम भी अपने मां को कभी इतना बड़ा दुख नहीं देना चाहता था लेकिन शायद जीवन से हार मान चुका था और एक दिन वह पत्नी और अपनी छोटी बच्ची के साथ अप्राकृतिक रूप यानी आत्महत्या कर लिया । वह अपनी पत्नी बच्चो को इस क्रूर दुनिया में कष्ट के जीवन न मिले इसलिए पहले मासूम को जहर पिलाया और फिर पत्नी को और पत्नी - बच्ची को पूर्ण मृत्यु देने के पश्चात खुद भी कल के गाल में समा गया ।
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