यह ब्लॉग पूर्णतः हिंदी भाषा में है। इसका प्रमुख उद्देश्य हिंदी बढ़ावा और उत्थान करना है। प्रायः बहुत हिंदी भाषी जिनको अंग्रेजी का ज्ञान नहीं है और उस विषय को खोजने असमर्थ रहते है उनको इससे मदद मिलेगी। इसमें सामाजिक विषयों जैसे शिक्षा, बाल श्रम, सूखा, बाढ़,प्राकृतिक आपदा, दहेज प्रथा, अश्लीलता, भिक्षा, वेश्यावृत्ति, निरक्षरता और भ्रष्टाचार से सम्बन्धित समाचार, रचनाए और कविताओं का संग्रह प्राप्त होगा ।
शहरों में पार्क ही एक सार्वजनिक स्थल है जहा लोग सुबह में व्यायाम योग एवम इष्ट मित्र से अनौपचारिक मेल मिलाप करते है। लेकिन समय के साथ लोगो द्वारा अतिक्रमित और बहुत ही गंदा होता जा रहा है ।
नाम पट्टिका (हिंदी) ~मिंटो पार्क
नाम पट्टिका (अंग्रेजी) - मिनट पार्क
यह मिंटो पार्क जो प्रचलित नाम है वैसे इसका आधिकारिक नाम महामना मैदान मोहन मालवीय पार्क है । यह शहर के कीडगंज क्षेत्र में स्थित है । यह नए पुल से पूर्व एवम मुख्य द्वार तथा यमुना के उत्तर (अन्य द्वार) में है। इसके अंदर वन विभाग का कार्यालय है एवम जंगली पौधों की पौधशाला भी है।
मुख्य द्वार (मिंटो पार्क)
अन्य द्वार ~आंतरिक (मिंटो पार्क)
स्थापना और पार्क का इतिहास यह पर शिलापट्ट में उल्लिखित है जो निम्न है -
मैग्ना कार्टा - मिंटो पार्क
" ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की नीतियों के अत्यधिक विरोध के कारण भारत में स्वतंत्रता की मांग मुखर हुई जिसके फलस्वरूप भारत के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम 1857 या सैनिक विद्रोह का सूत्रपात हुआ। जिससे विवश होकर ब्रिटिश सरकार ने 1 नवम्बर 1858 को शाही उदघोषणा की गयी। इस उदघोषणा पत्र पर जिसे भारत का"मैग्ना कार्टा" भी कहा जाता है, लगभग 50 वर्षों तक विशेष ध्यान नही दिया गया तथा इस उदघोषणा में निहित सिद्धान्तों की भी अनदेखी की गई। सन 1911 में वायसराय लार्ड मिंटो के कार्यकाल में जिस स्थान पर महारानी विक्टोरिया की उदघोषणा पढ़ी गयी थी वहाँ पर स्तम्भ का निर्माण प्रस्तावित किया गया। इस स्तम्भ के चारो ओर एक पार्क का भी निर्माण भी लार्ड मिंटो के नाम पर 'मिंटो पार्क' भी प्रस्तावित किया गया, मिंटो पार्क का आधार शिला लार्ड मिंटो द्वारा रखी गयी तथा भारतीय मैग्ना कार्टा के प्रतीक के रूप में मिंटो पार्क का निर्माण हुआ। पार्क के अंदर ऐसे स्थान पर जहाँ सैकड़ों राजाओ एवम भारत वासियों के समक्ष विशाल दरबार मे उदघोषणा पत्र पढ़ा गया था, उदघोषणा स्तम्भ लगाए जाने का प्रस्ताव नवम्बर 1958 को महामना पण्डित मदन मोहन मालवीय की अध्यक्षता में हुई बैठक में पारित हुआ। महामना पण्डित मदन मोहन मालवीय ने लोगो से पार्क एवम उदघोषणा स्तम्भ के निर्माण में सहायतार्थ अपील की फलस्वरूप विभिन्न महाराजाओ नवाबो तथा भारत के सम्माननीय नागरिको से 1,32,897 रु• का कोष प्राप्त किया। इस पार्क के प्रति महामना पं• मदन मोहन मालवीय के योगदान को देखते हुए मिंटो पार्क मेमोरियल कमेटी द्वारा सन 1977में इसका नाम मदन मोहन मालवीय पार्क रखा गया।"
पार्क का इतिहास -मिंटो पार्क
अशोक स्तंभ - उदघोषणा स्थल
उदघोषणा स्थल - मिंटो पार्क
शहर के अन्य पार्क की भांति यह भी निगम की ओर से हेय दृष्टि से देखे जाने की वजह से वन विभाग कार्यालय होने के कारण आने जाने योग्य था। परंतु वर्ष 2012 में क्षेत्र के विभिन्न संगठनों और पार्षद के कारण यह प्रशासन की दृष्टि में आया और इसके लिए भी निगम द्वारा सौंदर्यीकरण का कार्य शुरू हुआ। यह पार्क सीसीटीवी कैमरों से सुसज्जित, स्वच्छ जल एवं शौचालय से परिपूर्ण है ।
सीसीटीव कैमरा
शौचालय-मिंटो पार्क
अगर आपको परिवार के साथ बाहर जाना है तो मिंटो पार्क सबसे अच्छा स्थल है क्योंकि इसके साथ ही आप श्री मनकामेश्वर भगवान का दर्शन कर सकते है एवम नए पुल के पास तथा पुल पर सेल्फी और आनंद ले सकते है । यह पार्क मानव जीवन के विभिन्न जरूरतों से परिपूर्ण है । अगर आप दौड़ या व्यायाम करना चाहते है तो सड़क एवम लॉन है। हाँ अगर आपको कुछ खाना है तो यह रेस्टोरेंट भी उपलब्ध है।
रेटोरेन्ट-मिंटो पार्क
पार्क में बच्चों के लिए वोटिंग झूले और अन्य साधन उपलब्ध है। पार्क में पर्यावरण संरक्षण एवं गंगा रक्षण के लिए जागरूकता बोर्ड लगाए गए है।
अगर आपको शहर के किसी भी अन्य स्थल के बारे में जानकारी चाहते है तो अपनी टिप्पणी में अवश्य लिखे ।
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कर्ज़न सेतु @ मोतीलाल नेहरू सेतु पूर्वांचल को अवध से जोड़ने में सबसे सहायक सेतु था। यह आज 213 साल का जर्जर पुल है जिसमे आज भी दो पहिया का आवागमन है। यह इलाहाबाद का सबसे ऊंचा पुल इसीलिए स्काई-वाक कहा जाता है।
इस पुल में रेल एवम सड़क मार्ग दोनो है जिसमे ऊपरी सड़क तथा निचली सतह रेल मार्ग है।यह लोहे से निर्मित है ।इसका निर्माण लार्ड कर्ज़न ने 1904 में अवध को प्रयाग से जोड़ने के लिए किया था । आजादी के बाद 1948 में इसका नाम बदलकर मोतीलाल नेहरू सेतु कर दिया गया। 1998 में रेल मार्ग पूरी तरह बंद कर दिया गया । सेतु से दाहिने रेल सेतु एवम बाये सड़क पुल स्थित है जिससे आवागमन हो रहा है।
रेल प्रशासन ने इसे तोड़ने के लिए नीलामी प्रक्रिया शुरू किया था लेकिन बुद्धिजीवियों के विरोध से यह राष्ट्रीय धरोहर के रूप में स्थापित करने का कार्य चल रहा है। इसको स्काई-वाक के रूप में संजोया जाएगा और सौदर्यीकरण कर आम जनता के लिए पर्यटन स्थल की तरह प्रयोग होगा।
इसको जीवंत बनाने के लिए हॉल ही में एक फ़िल्म 'शादी में जरूर आना' जिसमे इसकर दृश्य को दिखाया गया है । इस फ़िल्म की एक गाने में इसको चित्रित किया गया है ।
इस फ़िल्म के Official Trailer में इसको दिखाया गया है। फ़िल्म के इस trailer के साथ ही लोगों की आवागमन और तेज हो गया है जिनको पता नही था वो लोग भी आकर्षित होने लगे है जिसमे खासकर प्रेमी युगल जो फिल्मो को देखकर वैसे ही सपने संजोते है। दुखद और नौजवानों के लिए एक संदेश भी कि दिवालो पर या फर्श पर अपने प्यार का इजहार और मनचले गंदे शब्दो को न लिखें।
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