शनिवार, 9 दिसंबर 2017

कर्ज़न सेतु @ मोतीलाल नेहरू सेतु इलाहाबाद

कर्ज़न सेतु @ मोतीलाल नेहरू सेतु पूर्वांचल को अवध से जोड़ने में सबसे सहायक सेतु था। यह आज 213 साल का जर्जर पुल है जिसमे आज भी दो पहिया का आवागमन है। यह इलाहाबाद का सबसे ऊंचा पुल इसीलिए स्काई-वाक कहा जाता है।

इस पुल में रेल एवम सड़क मार्ग दोनो है जिसमे ऊपरी सड़क तथा निचली सतह रेल मार्ग है।यह लोहे से निर्मित है ।इसका निर्माण लार्ड कर्ज़न ने 1904 में अवध को प्रयाग से जोड़ने के लिए किया था । आजादी के बाद 1948 में इसका नाम बदलकर मोतीलाल नेहरू सेतु कर दिया गया। 1998 में रेल मार्ग पूरी तरह बंद कर दिया गया   । सेतु से दाहिने रेल सेतु एवम बाये सड़क पुल स्थित है जिससे आवागमन हो रहा है।

रेल प्रशासन ने इसे तोड़ने के लिए नीलामी प्रक्रिया शुरू किया था लेकिन बुद्धिजीवियों के विरोध से यह राष्ट्रीय धरोहर के रूप में स्थापित करने का कार्य चल रहा है। इसको स्काई-वाक के रूप में संजोया जाएगा और सौदर्यीकरण कर आम जनता के लिए पर्यटन स्थल की तरह  प्रयोग होगा।

इसको जीवंत बनाने के लिए हॉल ही में एक फ़िल्म 'शादी में जरूर आना' जिसमे इसकर दृश्य को दिखाया गया है । इस फ़िल्म की एक गाने में इसको चित्रित किया गया है ।



इस फ़िल्म के Official Trailer में इसको दिखाया गया है। फ़िल्म के इस trailer के साथ ही लोगों की आवागमन और तेज हो गया है जिनको पता नही था वो लोग भी आकर्षित होने लगे है जिसमे खासकर प्रेमी युगल जो फिल्मो को देखकर वैसे ही सपने संजोते है। दुखद और नौजवानों के लिए एक संदेश भी कि दिवालो पर या फर्श पर अपने प्यार का इजहार और मनचले गंदे शब्दो को न लिखें।

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1 टिप्पणी:

  1. It's not 213 years, it is 114 years now. Last train was Lucknow to Allahabad Ganga-Gomti Express in 1998. Road traffic was closed in 1990, reopened for public in 2006.

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