सूखा , वर्षा, त्रासदी , पानी के सब मूल ।
जल का दोहन न करे , प्रकृति होगी प्रतिकूल ।।
प्रकृति होगी प्रतिकूल ,पड़ेगा भयंकर सूखा ।
वन, पक्षी और मानव , बूँद बूँद को तरसा ।।
कहत कवी अनुराग , जल का करो संरक्षण ।
प्रकृति होगी खुशहाल , सबका होगा रक्षण ।।
जल का दोहन न करे , प्रकृति होगी प्रतिकूल ।।
प्रकृति होगी प्रतिकूल ,पड़ेगा भयंकर सूखा ।
वन, पक्षी और मानव , बूँद बूँद को तरसा ।।
कहत कवी अनुराग , जल का करो संरक्षण ।
प्रकृति होगी खुशहाल , सबका होगा रक्षण ।।
सच कहा है आपने पानी ही मूल है।
जवाब देंहटाएंपंकज जी धन्यवाद
हटाएं" जल ही जीवन है", इस वाक्य की महत्ता आपकी इन पंक्तियों से स्पष्ट झलकती है।
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