बुधवार, 5 अप्रैल 2017

प्रथम मधुर मिलन ...

विता के परिपेक्ष्य में:-

जब एक नव-विवाहिता अपने ससुराल जाती है और रात्रि की पहली मिलान बेला आती है तो उस नाव-युवती के हाव भाव क्या होते है ? उसका प्रथम पंक्ति में विवरण है और दूसरी पंक्ति में उसके आंतरिक हाव्-भाव एवम मिलान का वर्णन है


वो अक्षत यौवना, रात्रि पहर ,
वो मकरंदो से भरी हुई।
कातिल नैन और लाल अधर ,
शर्मो में लिपटी छुई -मुई।।

मन में उठती उद्वेग लहर ,
वो सकुचाई और सिमट गई।
नैनन स्नेह और हुई निडर ,
भौरे से मिली और पिघल गई।।

नव यौवन के पहले मिलने का कुछ शब्दों में संजोने का छोटा सा प्रयास किया है। इसमें प्रियतम अपने प्रेमी से पहले मिलन पर क्या हाव भाव देती है उसका अलंकृत वर्णन है ।।
मधुर मिलन


निवेदन :-
इस पद्य में कम शब्दो में बहुत कुछ लिखने का प्रयास किया है और विद्वानों से निवेदन है कि इसकी व्याख्या करे और किसी भी त्रुटि के लिए सुझाव आमन्त्रित है




2 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इन चंद पंक्तियों से यह ध्येय वाक्य स्वयं ही चरितार्थ हो जाता है कि "अनुभव बोलता है। "

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