बुधवार, 6 अप्रैल 2022

आदिशक्ति माँ कल्याणी देवी

तीर्थराज प्रयाग में जगह-जगह मठ और मंदिर बिखरे पड़े हैं लेकिन कुछ मंदिरों का पौराणिक और ऐतिहासिक दृष्टि से विशेष महत्व है जिनमें पुराने शहर में स्थित कल्याणी देवी का मंदिर भी है जिसको शक्तिपीठ कहा जाता है। यहां मां के दर्शन-पूजन के लिए शहर के अलावा दूर-दराज से भी हजारों श्रद्धालु व देवीभक्त आते हैं।

कल्याणी देवी मंदिर के पुजारी व प्रबंधक श्याम जी पाठक बताते हैं कि पुराणों में मां के 51 शक्तिपीठों का जिक्र मिलता है जिसमें मां कल्याणी का भी विशेष उल्लेख है। ऐसी मान्यता है कि यहां माता सती की तीन अंगुलिया गिरी थीं। 

Maa kalyani devi
माँ कल्याणी देवी

अलोपशंकरी देवी के प्रसंग में ५१ पीठों की कथा के क्रम में माँ कल्याणी का भी वर्णन आया है । मत्स्य पुराण के १०८ वें अध्याय में कल्याणी देवी का वर्णन पाया जाता है । यही माँ कल्याणी महर्षि भरद्वाज की अधिष्ठात्री है 

" तरयोत्तरे अस्ति ललिता कल्याणीति च गीयते दर्शनस्तस्य पूजाभिः सर्वेषां सर्वकामदा ।। " 

-( प्रयाग माहात्म्य अध्याय ७६. श्लोक १७ ) 

इस प्रकार प्रयाग माहात्म्य के अनुसार कल्याणी और ललिता एक ही हैं , किन्तु यहाँ पृथक अस्तित्व पाया जाता है जिसकी चर्चा आगे की जायेगी । ब्रह्मवैवर्त पुराण के तृतीय खण्ड में वर्णित प्रसंग के अनुसार महर्षि याज्ञवल्क्य ने प्रयोग में भगवती की आराधना करके मो कल्याणी देवी की ३२ अंगुल की प्रतिमा की स्थापना की है । कल्याणी देवी की प्राचीनता के पुरातात्विक प्रमाणों के संदर्भ में पुरातत्ववेत्ता डा ० सतीश चन्द्र काला का एक शोधपूर्ण लेख है , जिसके अनुसार माँ कल्याणी की प्रतिमा कम से कम १५ सौ वर्ष पुरानी है । वर्तमान समय में यह एक जागृत पीठ बन चुकी है । नगर के कल्याणी देवी मुहल्ले में एक भव्य मंदिर में स्थापित दिव्य आभा से परिपूर्ण माँ कल्याणी की एक चतुर्भुजी प्रतिमा स्थापित है , जो सिंहस्थ है प्रतिमा के शीर्ष भाग पर आभामण्डल है तथा मस्तक पर योनि लिंग व नाग सुशोभित है । मध्य प्रतिमा के वाम भाग में दस महाविद्याओं में से एक देवी छिन्नमस्ता की प्रतिमा स्थापित है । दाहिनी ओर आदिदेव भगवान शंकर की प्रतिमा माँ पार्वती के साथ है । मुख्य प्रतिमा के ऊपर दायें भाग में प्रथम पूज्य देवता गणेश जी की आकर्षक प्रतिमा है । यहीं पर बाईं ओर हनुमान जी की प्रतिमा भी है इन प्रतिमाओं का नवरात्र व विशेष अवसरों पर भव्य शृंगार किया जाता है । मंदिर में दोनों नवरात्रों पर शतचण्डी महायज्ञ होते हैं उसी दौरान प्रतिदिन देवी के विविध शृंगार किये जाते हैं । इनके अतिरिक्त आषाढ़ पक्ष की अष्टमी , चैत्र कृष्णपक्ष की अष्टमी शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी ( डेढ़िया ) के अवसर पर देवी माँ का विशेष शृंगार किया जाता है , जिसे देखने के लिये भारी भीड़ उमड़ती है ।

मनोकामना कुंड 

इस मंदिर की एक विशेषता ये है कि मंदिर परिसर में ही एक कुंड भी है, जिसकी मान्यता यह है कि जो भी श्रद्धालु इस मनोकामना कुंड में मातारानी से सच्चे ह्रदय से मांगता है. उसकी मुराद जरूर पूरी होती है.

Manokamna kund
मनोकामना कुण्ड

यहां दूर-दराज से हजारों लोग अपनी मन्नत पूरी होने पर लाल रंग के कपडे में लिपटे निशान को चढाने के लिए गाजे-बाजे के साथ आते हैं. इसे मां के प्रति भक्तों की आभार पूजा के रूप में भी माना जाता है. मां कल्याणी के दरबार में इस दौरान कई धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन भी होते हैं. जोकि मां की भव्यता में चार चांद लगा देते हैं.

कैसे पहुँचे 

  1. प्रयागराज रेलवे स्टेशन से करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर कल्याणी देवी का मंदिर है।
  2. सिविल लाइंस बस अड्डे व जीरो रोड बस अड्डे से डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर मंदिर बना हुआ है।
  3. कोई श्रद्धालु बमरौली एयरपोर्ट पर उतरता है तो उसे मालवीय नगर कल्याणी देवी मंदिर में करीब 11 किलोमीटर की यात्रा करनी होगी।

रविवार, 27 मार्च 2022

बाबा बदेवरा नाथ मंदिर , जिगना मीरजापुर

 ॐ श्री बदेवरा नाथ महादेव की जय निर्जापुर जिले में जिगना के बड़ेवरा ग्राम में प्रचीन और भव्य मन्दिर क्षेत्रवासियों पर सदैव कृपा बरसाते है । यहाँव में मारा में श्रद्धालुओं और तिथियों में भरी जुटती है । वैसे तो प्रत्येक तेरस के दिन यहाँ मेला लगता है परन्तु श्रावण मास से अधिक मास और पुरुषोत्तम मास में यहां श्रद्धालु विशेष रूप से जलाभिषेक और दर्शन करने आते है ।मेला के दिन 2km क्षेत्र में फैले मेले में घरेलू उपयोग के सूप , चलनी , मुसल , बेलन , डलिया, दउरी सहित बाँस और काढ के सामानों की खरीदारी होती है । बिसारती समान और खिलौनों की दुकानों पर काफी चहल पहल रहती है

 

बदेवरा नाथ मन्दिर
Badewara Nath Temple

बाबा बदेवरा नाथ
Baba Badewara Nath

बदेवरा नाथ मन्दिर के बारे में मान्यता है कि इसके पास में स्थित तालाब में स्नान करने से गठिया, बतास जैसे रोगों से मुक्ति मिलती है । 

स्थापना की बात करें तो प्रयाग रामलीला स्मारिका के मुताबिक शिव नागराज वीर सेन ने कुणालों से युद्ध किया था और मथुरा तके उसके राज्य को जीत लिया था । युद्ध में उनके से जहाँ वीरगति प्राप्ति की भी वहां शिवलिंग स्थापित किए गए । ये स्थान है इलाहाबाद का महुआव, मिर्ज़ापुर का बदेवरा नाथ और भदोही के सेमराधनाथ , जहाँ पर शिवलिंग स्थापित किए गए थे ।

यहाँ पहुचने के लिए सड़क मार्ग से जिगना बस स्टैंड से लगभग 6-7 किमी. पर स्थित है । जिगना रेलवे स्टेशन लेकिन यहां पर लोकल ट्रेन ही रुकती है ।

 


गुरुवार, 30 जुलाई 2020

सम्पूर्ण भारत के सभी ग्राम सभा के आय और व्यय को कैसे जाने ।

भारत एक विशाल देश है । यह कई 29 राज्य एवम 7 केंद्र शासित प्रदेश है। देश के जन जन का कल्याण हो इसके लिए इसे निचले स्तर पर जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत और ग्राम पंचायत में बांटा गया है जिससे हर वर्ग के लिए भारत की योजनाएं दी जा सके।
भारत की आजादी के बाद लीडरशिप लोगो के कल्याण के लिए होती थी लेकिन दुर्भाग्यवश अब लोग जान प्रतिनिधि बनकर सभी योजनाओं को कुछ छोटे मूल्य में बिक्री कर रहे है । यह सांसद, मंत्री से लेकर प्रधान जैसे जनसेवक सभी बंदर बाँट में लगे है जिसमे सरकार के द्वारा नियुक्त अधिकारी भी सहयोग दे रहे है।

भ्रष्टाचार की चरम सीमा जो भी हो उसे भी लांघकर इस तरह के दुरुपयोग किया जा रहा है। विभिन्न समितियों, सामाजिक कार्यकर्ता और न्यायालयों के संदर्भ से सभी विभाग को अपने कार्य, लेखाजोखा और प्रगति को ऑनलाइन करने के लिए आदेशित किया गया है। 

अब हम उक्त विषय पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूँ। यह विषय आज के नौजवानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि देश की दशा और दिशा केवल युवा शक्ति ही बदल सकती है। 
 ग्राम पंचायत में आने वाले धन का दुरुपयोग न हो या उसके लिए ई ग्राम स्वराज एप्पलीकेशन और वेबसाइट भारत सरकार ने जारी किया है जिसमें भारत के सभी राज्यों के पंचायत का आय व्यय का ब्यौरा दिया गया है । 

आपका ध्यान इधर भी आकर्षित करना चाहता हूं कि कुछ कार्य बिना किये ही कागजों पर हो जाता है और पैसे सचिव और प्रधान द्वारा निकल लिया जाता है । ऐसे में किसी को भी पता नही चल पाता।


स्वयंसेवी संस्था NGO

स्वयंसेवी संस्था क्या है ?

स्वयंसेवी संस्था, सामाजिक कार्यो में जुडे हुए व्यक्तियों का समूह होता है। यह संस्था पंजीकृत और  अपंजीकृत दोनों अवस्था में हो सकती है।  संस्था का पंजीकरण उन दशाओ में अति आवश्यक होता है जब समाज के विभिन्न कार्यो के लिए सरकार  या व्यक्तिगत संस्थानों से वित्त /अनुदान प्राप्त होता है।


आय  के श्रोत :

1.  समाज के लोगो द्वारा
2 . सरकार  के द्वारा
3 . कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (CSR)
4 . विदेशी फण्ड ( इसके लिए FCRA पंजीकरण आवश्यक है. )

 स्वयंसेवी संस्था के कार्य :
स्वयंसेवी संस्था समाज के विभिन्न आयामों को संचालित करती है जिससे समाज सामाजिक, आर्थिक उन्नयन  स्व-रोजगार , धार्मिक एवं विशेष रूप से  स्वास्थ्य, स्वच्छता, शिक्षा और अच्छी जिंदगी जीने के लिए जागरूकता और कार्य करती है।  यह कार्य समाज के लोगो के धन संग्रह , कॉर्पोरेट के सहयोग से एवं सरकार के विशेष अनुदान से करती है।

स्वयंसेवी संस्था का पंजीकरण  :

संस्थाए जब पंजीकृत की जाती है, उस समय कार्य और उद्देश्य की लिखित प्रति सोसाइटी रजिस्ट्रेशन कार्यालय में जमा किया जाता है।  संस्था का पंजीकरण THE SOCIETIES REGISTRATION ACT, 18602[2] (Act XXI of 1860) के अंतर्गत किया जाता है।

संस्था का कार्यान्वयन:
संस्था का कार्यान्वयन विशेष रूप से स्वयंसेवको (Volunteer) एवं संस्था में कार्यरत लोगो के द्वारा स्टाकहोल्डरो की मदद से होता है। इस कार्य के लिए सामाज के लोगो का विशेष   सहयोग अपेक्षित होता है। 

सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम १९६० डाउनलोड करने के लिए क्लिक करे। 

शनिवार, 2 मई 2020

How To Get FREE N-COVID -19 Awareness and Prevention Certificate by Apollo Med Skill


free certificate for course Noval  Corona (N_COVID) Awareness and Prevention Program by Apollo Med Skills 

इन दिनों पूरे विश्व में कोरोना का आतंक फैला हुआ है ऐसे में इस आपदा में इसके बारे में जानने और इससे अपने, अपनों और समुदाय को सुरक्षित करने के लिए नागरिको को कोरोना जानकारी और बचाव कोर्स का अध्ययन आवश्यक है। क्योकि यदि एक परिवार का एक सदस्य भी जागरूक है तो सभी अन्य सदस्यों को इस भयावय बीमारी से बचने में सक्षम होगा

free certificate for course Noval  Corona (N_COVID) Awareness and Prevention Program by Apollo Med Skills

free certificate for course Noval  Corona (N_COVID) Awareness and Prevention Program by Apollo Med Skills 


कहाँ उपलब्ध है :-

आज के दौर में मोबाइल वेबचलित सभी के पास उपलब्ध है और ऑनलाइन कोर्स कोरोना सम्बंधित, विभिन्न संस्थानों द्वारा चलाये जा रहे है ऐसे में कुछ ऐसे भी सर्टिफिकेट कोर्से है जो कि social सेक्टर यानि NGO Person के रिज्यूमे को मजबूत बनाते है  WHO, india Against Corona एवं अन्य जैसे Diksha सरकारी जागरूकता कार्यक्रम ऑनलाइन माध्यम से चलायमान है .
अपोलो मेडस्किल चिकित्सा सम्बन्धित कई प्रोग्राम सशुल्क चला रही है लेकिन कोरोना पाठ्यक्रम निशुल्क उपलब्ध करा रही है जिसके लिए किसी प्रकार के शुल्क नही लिए जा रहे है यह पाठ्यक्रम NSDC, Skill India एवं ASSOCHAM से सम्बद्ध है।

पंजीकरण कैसे करे :-
पंजीकरण के लिए सबसे पहले google में Apollo Med Skill टाइप कर सर्च करे इसके बाद apollo med skill के पहले दिए गए परिणाम पर क्लिक करे और मुख्य वेबसाइट पर जाकर कोरोना जागरूकता एवं बचाव के प्रोग्राम में पंजीकरण करे । इसके लिए दिये गए सभी कोलौम में सावधानी पूर्वक सही जानकारी भरे और पंजीकरण पूर्ण करे

पाठ्यक्रम का प्रारूप एवं कैसे सर्टिफिकेट प्राप्त करे :-

इसके पश्चात् पुन : लॉग इन करके पाठ्यक्रम के विडिओ को पूरा देखे क्योकि इसके पश्चात् आपको 10 बहुविकल्प प्रश्नों के सही उत्तर देने होंगे जिसके पश्चात् सर्टिफिकेट पीडीएफ फाइल में डाउनलोड कर सकते है पाठ्यक्रम के विडियो अपनी जानकारी और इसके पश्चात् 10 प्रश्नों के उत्तर देने में सहायक होंगे

जागरूकता विडियो पोस्टर डाउनलोड :-

समुदाय के अन्य व्यक्तिओ को जागरूक करने के लिए विडियो पोस्टर डाउनलोड विकल्प पर क्लिक करके प्राप्त कर सकते है

आप सभी जागरूक पाठको को धन्यवाद । यदि आपको किसी प्रकार की मदद की आवश्यकता हो तो youtube विडियो देख सकते है। आपको यह कैसा लगा कमेंट बॉक्स में लिखे और अपने अमूल्य सुझाव दे 

youtube विडियो के लिए क्लिक करे 

शनिवार, 18 अप्रैल 2020

मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)

मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) : मौलिक अधिकार उन अधिकारों को कहा जाता है जो व्यक्ति के जीवन के लिये मौलिक होने के कारण संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदान किये जाते हैं और जिनमें राज्य द्वारा हस्तक्षेप नही किया जा सकता। ये ऐसे अधिकार हैं जो व्यक्ति के व्यक्तित्व के पूर्ण विकास के लिये आवश्यक हैं और जिनके बिना मनुष्य अपना पूर्ण विकास नही कर सकता।

मौलिक अधिकार (Fundamental Rights)
मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) 


भारतीय नागरिकों को छः मौलिक अधिकार प्राप्त है :- भारतीय संविधान के  भाग-3  में 6  प्रकार के मौलिक अधिकारों का वर्णन है, जो कुछ मर्यादित प्रतिबन्धों से घिरे हैं । ससद को इन अधिकारों के प्रयोग पर उचित प्रतिबन्ध लगाने के लिए संविधान के संशोधन हेतु विस्तृत अधिकार दिये गये हैं ।

1. समानता का अधिकार : अनुच्छेद 14 से 18 तक।
2. स्वतंत्रता का अधिकार : अनुच्छेद 19 से 22 तक।
3. शोषण के विरुध अधिकार : अनुच्छेद 23 से 24 तक।
4. धार्मिक स्वतंत्रता क अधिकार : अनुच्छेद 25 से 28 तक।
5. सांस्कृतिक तथा शिक्षा सम्बंधित अधिकार : अनुच्छेद 29 से 30 तक।
6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार : अनुच्छेद 32

मूल अधिकार 
अनुच्छेद 12 (परिभाषा)
अनुच्छेद 13 (मूल अधिकारों से असंगत या उनका अल्पीकरण करने वाली विधियां।)

समता का अधिकार

अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समता)
अनुच्छेद 15 (धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्मस्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध)
अनुच्छेद 16 (लोक नियोजन के विषय में अवसर की समता)
अनुच्छेद 17 (अस्पृश्यता का अंत)
अनुच्छेद 18 (उपाधियों का अंत)

स्वातंत्रय–अधिकार

अनुच्छेद 19 (वाक्–स्वातंत्र्य आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण)
अनुच्छेद 20 (अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण)
अनुच्छेद 21 (प्राण और दैहिक स्वतन्त्रता का संरक्षण)

शोषण के विरूद्ध अधिकार

अनुच्छेद 23 (मानव के दुर्व्यापार और बलात्श्रय का प्रतिषेध)
अनुच्छेद 24 (कारखानों आदि में बालकों के नियोजन का प्रतिषेध)

धर्म की स्वतन्त्रता का अधिकार

अनुच्छेद 25 (अंत: करण की और धर्म के अबोध रूप में मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता)
अनुच्छेद 26 (धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता)
अनुच्छेद 27 (किसी विशिष्ट धर्म की अभिवृद्धि के लिए करांे के संदाय के बारे में स्वतंत्रता)
अनुच्छेद 28 (कुछ शिक्षा संस्थाओं में धार्मिक शिक्षा या धार्मिक उपासना में उपस्थित होने के बारे में स्वतंत्रता)


संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार

अनुच्छेद 29 (अल्पसंख्यक वर्गों के हितों का संरक्षण)
अनुच्छेद 30 (शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करनेका अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार)
अनुच्छेद 31 (निरसति)

अनुच्छेद 31क (संपदाओं आदि के अर्जन के लिए उपबंध करने वाली विधियों की व्यावृत्ति)
अनुच्छेद 31ख (कुछ अधिनियमों और विनिमयों का विधिमान्यकरण)
अनुच्छेद 31ग (कुछ निदेशक तत्वों को प्रभावी करने वाली विधियों की व्यावृत्ति)
अनुच्छेद 31घ (निरसित)

सांविधानिक उपचारों का अधिकार

अनुच्छेद 32 (इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों को प्रवर्तित करने के लिए उपचार)
अनुच्छेद 32क (निरसति) ।
अनुच्छेद 33 (इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों का, बलों आदि को लागू होने में, उपांतरण करने की संसद की शक्ति)
अनुच्छेद 34 (जब किसी क्षेत्र में सेना विधि प्रवृत्त है तब इस भाग द्वारा प्रदत्त अधिकारों का निर्बधन
अनुच्छेद 35 (इस भाग के उपबंधों को प्रभावी करने के लिए विधान)

संवैधानिक उपचारों का अधिकार (अनुच्छेद 32 ): न्यायालय द्वारा उपरोक्त अधिकारों की सुरक्षा हेतु उच्च न्यायालय व सर्वोच्च न्यायालय को रिट याचिका सुनकर विशेष लेख व आदेश जारी करने का अधिकार ।

(क) बन्दी प्रत्यक्षीकरण लेख

(ख) परमादेश लेख

(ग) प्रतिबन्ध लेख

(घ) अधिकारपृच्छा लेख

(ङ) उत्प्रेषण लेख

 स्मरणीय तथ्य  :

१. 1978 के 44वें संविधान संशोधन के फलस्वरूप संपत्ति के अधिकार अनु. ३१  को निरसित करके अनुच्छेद 300 किया गया जिसमें कहा गया है कि किसी व्यक्ति को कानून की सत्ता के प्रयोग द्वारा उसकी सम्पत्ति से वंचित किया जा सकता है ।
२. अनुच्छेद (Article) 21 क – 6 से 14 वर्ष के बच्चों को शिक्षा का अधिकार (86 वे संविधान  संशोधन 2002 )
३.  आरटीआई या सूचना का अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 19 (1) के तहत एक मौलिक अधिकार के रूप में दर्जा दिया गया है I 

शनिवार, 11 अप्रैल 2020

मानव तस्करी (बाल तस्करी )

मानव तस्करी की परिभाषा :-  

मानव तस्करी सीधा अर्थ है कि  किसी व्यक्ति को अपने कब्जे में लेकर बंधुआ मजदूरी , यौन/देह  व्यापार , अंग प्रत्यारोपण करवाने से है। Raj Bahadur Vs. Legal Remembrance AIR 1953 Cal. 522 के अनुसार "शरीर और श्रम के लिए गाजर-मूली की तरह मनुष्यो की खरीद-फरोख्त  करना ही मानव तस्करी है ।"
CHILD TRAFFICKING
 तस्करी  CHILD TRAFFICKING


मानव तस्करी सम्बंधित तथ्य :


  • ड्रग तस्करी के बाद दूसरा सबसे बड़ा आपराधिक उद्योग।

  • 2.70 करोड़ लोग दुनिया भर में मानव तस्करी के शिकार हैं।

  • 95% शारीरिक या यौन हिंसा का अनुभव करते हैं

  • भारत में 40 लाख वेश्याएं

  • उनमें से 40% नाबालिग हैं

  • मानव तस्करी की शिकार 80% महिलाएं और लड़कियां हैं



बाल तस्करी :-

बच्चों की तस्करी शोषण के उद्देश्य से भर्ती, परिवहन, स्थानांतरण,यौन-उत्पीड़न,बाल-श्रम, बल-विवाह  शामिल है। बच्चों का व्यावसायिक यौन शोषण कई रूप ले सकता है, जिसमें एक बच्चे को वेश्यावृत्ति में शामिल करना या यौन गतिविधियों या बाल पोर्नोग्राफ़ी के अन्य रूप शामिल हैं। बाल शोषण में जबरन श्रम या सेवाएं, दासता, सेवाभाव, अंगों व्यापार ,बाल विवाह के लिए तस्करी, बाल सैनिकों के रूप में भर्ती, भीख मांगने में उपयोग शामिल किया जाता है। वर्तमान समय में भारत की सबसे प्रमुख समस्याओं में से एक है। हमारे देश में हर 8 मिनट में एक बच्चा लापता होता है। वर्ष 2011 में लगभग 35,000 बच्चों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज की गई थी, जिसमें से 11,000 से ज्यादा बच्चें तो सिर्फ पश्चिम बंगाल से थे।

बाल तस्करी क्यों ? :-

बाल तस्करी विशेषतः वेश्यावृत्ति, घरेलू गुलामी,मानव अंग व्यापार एवं अन्य कारणों  जैसे  भीख मांगना, मनोरंजन,बंधुआ काम , बाल विवाह, मनोरंजन, दत्तक ग्रहण,कामोद्दीपक चित्र, फैक्टरी और खेत दासता
के लिए किया जाता है।

तस्करी में प्रवेश :- 

बाल  तस्करी में प्रवेश में विभिन्न परिस्थियां धोखा  ,झूठे वादे, अपनापन,हिंसा, प्रवंचना, प्यार और देखभाल का अभाव एवं नौकरी की खोज से होती है। 


बाल तस्करी के कारण :-



  • दरिद्रता (गरीबी)
  • नागरिक अशांति
  • बेरोजगारी 
  • प्राकृतिक आपदा
  • निरक्षरता
  • बाल शोषण
  • प्रवास

बाल तस्करी का प्रभाव :-



  • परिवार और समुदाय से समर्थन का नुकसान।
  • उचित शिक्षा का नुकसान।
  • शारीरिक विकास में बाधा।
  • मनोवैज्ञानिक आघात।
  • समाज से अलगाव।
  • बाल अधिकारों का शोषण।


अगर हम नज़रअंदाज़ करें, तो? :-


  • बच्चों का अधिक शोषण।
  • बच्चे एकाकी हो जायेंगे ।
  • अभियोजन पक्ष के तस्करी से बच्चों का अधिक शोषण होगा।
  • यह प्रक्रिया ऐसे ही सघन होती रहेंगी।
  • इसे नजरअंदाज किया जाता रहेगा।

बच्चे इन विशेष सुरक्षा अधिकार के अधिकारी है :-


लिंग भेदभाव।
जातिगत भेदभाव।
विकलांगता।
कन्या भ्रूण हत्या।
घरेलु हिंसा।
बाल यौन शोषण
बाल विवाह।
बाल श्रम।
बाल वेश्यावृत्ति।
बच्चों का अवैध व्यापार।
बाल बलिदान।
स्कूलों में शारीरिक दंड।
परीक्षा का दबाव और छात्र की आत्महत्या।
प्राकृतिक आपदा।
एचआईवी / एड्स।

               
कमी क्या है ?


  • दृष्टिकोण 
  • क्षमता 
  • इच्छा-शक्ति 
  • जन-सहयोग
  • संकेन्द्रण
  • पर्यवेक्षण एवं समीक्षा 

बाल अधिकार संबंधित अधिनियम 


  • बाल श्रम (निषेध व नियमन) कानून 1986
  • कारखाना अधिनियम 1948
  • किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015
  • शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE)
  • POCSO अधिनियम, 2012
  • बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 
  • दिव्यांगजन अधिकार नियम, 2017
  • अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम, 1956 
  • बाल अधिनियम, 1960 


बाल अधिकार के संवैधानिक अनुच्छेद 


  • अनुच्छेद 21(ए) के अनुसार राज्य के लिए  6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को अनिवार्य तथा मुफ्त शिक्षा देना कानूनी रूप से आवश्यक है तथा राज्य ऐसा करने के लिए बाध्य है।

  • संविधान की धारा धारा 24 के अनुसार 14 साल के कम उम्र का कोई भी बच्चा किसी फैक्टरी या खदान में काम करने के लिए नियुक्त नहीं किया जायेगा और न ही किसी अन्य खतरनाक उद्योग में नियुक्त किया जायेगा।

  • धारा 39-ई  में इस बात का उल्लेख है कि राज्य अपनी नीतियां इस तरह निर्धारित करेंगे कि श्रमिकों, पुरुषों और महिलाओं का स्वास्थ्य तथा उनकी क्षमता सुरक्षित रह सके और कम उम्र  के बच्चों का शोषण न हो तथा वे अपनी उम्र व शक्ति के प्रतिकूल काम में आर्थिक जरुरतों के लिए न करें।

  • संविधान की धारा धारा 39-एफ में इस बात का उल्लेख है कि बच्चों को स्वस्थ तरीके से स्वतंत्र व सम्मानजनक स्थिति में  विकास के अवसर तथा सुविधाएं दी जायेंगी और बचपन व जवानी को नैतिक व भौतिक दुरुपयोग से बचाया जायेगा ।

बाल अधिकार सम्बंधित सरकारी एवं स्थानीय सहयोगी 

  • राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR)
  • चाइल्ड लाइन 1098 
  • पुलिस 
  • चाइल्ड -वेलफेयर -समिति  (CWC)
  • स्वयं सेवी संस्था 
  • यूनिसेफ 

बाल तस्करी का पीडीएफ के लिए क्लिक करे।
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